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    आयोग की शक्तियां

    राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग अधिनियम, 2004 की धारा 12 के अनुसार आयोग की शक्तियॉं निम्नानुसार हैं –

    1. आयोग एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय है तथा अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों का निर्वहन करने के प्रयोजन हेतु इसे किसी वाद का विचारण करने वाले सिविल न्यायालय की शक्तियॉं प्राप्त हैं । आयोग की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल है –
      • भारत के किसी भाग के किसी व्यक्ति को सम्मन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना,
      • दस्तावेजों के प्रकटीकरण और पेश किए जाने की अपेक्षा करना,
      • शपथ-पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना,
      • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) की धारा 123 और 124 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या दस्तावेज अथवा ऐसे रिकार्ड अथवा दस्तावेज अथवा रिकार्ड की प्रति की अपेक्षा करना,
      • साक्ष्यों या दस्तावेज की परीक्षा के लिए आज्ञापत्र जारी करना , और
      • कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाए ।
    2. आयोग के समक्ष प्रत्येक कार्यवाही भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 193 और धारा 228 के अर्थान्तर्गत और धारा 196 के प्रयोजनों के लिए न्यायिक कार्यवाही समझी जाएगी और आयोग को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 ( 1974 का 2) की धारा 195 और अध्याय 26 के प्रयोजनों के लिए सिविल न्यायालय समझा जाएगा ।
    3. आयोग की शक्तियों में अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े विवादों के संबंध में सक्षम प्राधिकरण के आदेश के विरूद्ध अपील कर सकने की शक्ति शामिल है (धारा 12 ए) ; किसी भी संस्था के एक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था के रूप में दर्जे से संबंधित सभी प्रश्नों पर निर्णय लेना शामिल है (धारा 12 बी) ; आयोग को इस अधिनियम में निर्धारित आधारों पर किसी शैक्षणिक संस्था के अल्पसंख्यक दर्जें को निरस्त करने की भी शक्ति है (धारा 12 सी); आयोग को अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक अधिकारों के अतिक्रमण अथवा वंचन किए जाने के मामलों की जॉंच करने का अधिकार प्राप्त है (धारा 12 डी) । आयोग को अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक अधिकारों के अतिक्रमण अथवा वंचन किए जाने की शिकायतों की जॉंच के समय केन्द्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार अथवा अन्य प्राधिकरण अथवा उसके अंतर्गत संस्थान से जानकारी लेने का भी अधिकार है (धारा 12 ई) ।

      कोई न्यायालय (सर्वोच्च न्यायालय और संविधान के अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 227 के अधीन अधिकारिता का प्रयोग करने वाले किसी उच्च न्यायालय के अतिरिक्त) इस आयोग द्वारा किए गए किसी आदेश के संबंध में कसी वाद, आवेदन या अन्य कार्रवाइयों को ग्रहण नहीं करेगा (धारा 12 एफ) ।